महान भारतीय नेता
- चेतन मौर्य
पिछले कई सालों से मैं भारतीय नेताओं के विज्ञापन व भाषण सुनता आ रहा हू, जिसमे वो अपने कामों की तारीफ करते रहते हैं, और विपक्ष के नेता की खामियाँ बताते रहते है, जिसके ग्लमैर और चका-चौध में आकर हमारी भोली जनता अपनी मूर्खता का प्रमाण नेताओं के झाँसे में आकर देती रहती हैं।
नेताजी अपने वक्तव्य में अपने कार्यकाल में हुए विकास की समीक्षा ऐसे करते हैं, जैसे वो अपने पिताजी के पैसों से मुफ्त में जनता की सेवा कर रहे हों. वो शायद ये भूल जाते हैं कि सत्ता चलाने के लिए उन्हें वेतन, आवास, वाहन, सुरक्षा और तमाम सुविधाएँ मिलती हैं, तो फिर वो हम पे कोई उपकार तो नहीं करते । ये जो सड़के, स्कूल, बिजली, अस्पताल और विकास का कार्य होता है, देश को चलाने में जो भी खर्च आता है, ये सब हम आम जनता द्वारा जमा किया गया कर (टैक्स) होता है, मैं आपको ये बता दू देश का हर एक व्यक्ति टैक्स भरता है फिर वो बच्चा ही क्यों न हो, नहीं विश्वास हो रहा हो तो अभी जाओ किसी पास की दुकान में और ख़रीदो एक चॉकलेट का पैकेट और देखो उसके पैकेट में लिखा है (एम. आर. पी. विथ इन्क्लूडिंग टैक्स). मतलब साफ है जैसे हम अपनी कमाई से अपने घर बनवाते है वैसे हमारी ही कमाई के हिस्से से ये रोड, अस्पताल, स्कूल बनते हैं यहाँ तक की सरकार और सरकारी कर्मचारियों को वेतन भी हम ही देते है लेकिन फिर भी हम इनकी गुलामी झेलते है। सरकारी स्कूल के मास्टर हमारे बच्चों को सही से नही पढ़ाते है, डॉक्टर सही से हमारा इलाज नहीं करते और नेता कभी कोयला तो कभी, विकास के लिए आये धन को घोट के पी जाते हैं। गाँव का प्रधान सरकारी स्कूल के मिड डे मील के बजट मे भी हाथ साफ कर लेता है। मनरेगा के तहत फ़र्ज़ी सरकारी पैसा निकालाना तो सभी प्रधानों का सबसे पसंदीदा खेल है।
मैं ये बात दावे से कह सकता हू कि 99.9% नेता (ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक) काले कारोबार, काले धन, एवं अत्याचारों से लिप्त होते हैं, यह आम बात है, हर कोई जनता है, पर समझता कोई नहीं । जनता को इसकी वास्तविकता को गहराई से समझना चाहिए ।
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