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मोदी - "भारतीय मंच के एक कलाकार "


          नरेंद्र मोदी -"भारतीय मंच के एक कलाकार "

 

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The most branded man of India

आपने अपने जीवन पर्यन्त में कई फ़िल्मे देखीं होंगी उन फिल्मों में अभिनय करने वाले पात्र आपके दिल और दिमाग में एक छाप छोड़ने में कामयाब रहते है.आप उन्हें महान और आदर्श समझने लगते है। पर आपको ये पता होना चाहिए कि एक कलाकार और बुद्धिमान, श्रेष्ठ व्यक्ति में जमीन आसमान का फ़र्क़ होता है। अच्छा अभिनय करने का ये मतलब कभी नहीं होता कि वो एक अच्छा व्यक्ति भी है, इन कलाकारों के पीछे एक कुशल टीम होती है, जो उनके ड्रेसिंग से लेकर एक्टिंग तक का ध्यान रखते है, उनमें लेखक और डायरेक्टर भी होते है सब कुछ  लोग लिखते है , काम काम करते है पर वाहवाही सबसे ज्यादा उस कलाकर कि ही होती है, जबकि उस फिल्म की कहानी में उसका अपना कोई दिमाग नहीं होता.

ठीक यही सन्दर्भ हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री श्री मोदी पर भी लागू होता है, आज वो सत्ता में है तो उसका एक 'ब्रांडिंग' भी है, उन्होंने चीजों को इतना बढ़ा चढ़ा कर पेश किया है कि लोगों की आँखे चकाचौंध हो गई लोग अंधभक्त हो गए अपना दिमाग लगाना भूल गए। अब गुजरत मॉडल ही ले लीजिए 2014 लोकसभा चुनाव में इस मॉडल का हद से ज्यादा ढिंढोरा पीटा गया स्वयं बॉलीवुड के शहंशाह  और योगगुरु ने भी बढ़ चढ़कर इस कार्य में हिस्सा लिया, जबकि वास्तविकता ये थी कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति का गुजरात दौरा हुआ तब गुजरात के अहमदाबाद में सड़क किनारे रहने वाले गरीबों को छिपाने के लिए दिवार बनानी पड़ी । 

यही  किस्सा काले धन का भी है काले धन को लेकर योगगुरु और मोदी सेना द्वारा जनता को इस तरह गुमराह किया गया की जनता को लगने लगा। मनो देश में अथाह धन है और मोदी सरकार बानी तो सब के हिस्से में 15 लाख रूपए है जो उनके बैंक अकाउंट में भेज दिए जायेंगे । सिर्फ इतना ही नहीं जन-धन '0' अकाउंट भी खुले लोगों का विश्वास मजबूत हुआ और लोगो ने राज्य सरकार में भी बीजेपी के झंडे गड़वाये.




अंततः मोदी सरकार ने लोगो को ठेंगा दिखा दिया। कोरोना काल में पता चला हमारे देश में उन लोगों की सरकार है जिन्हे अपनी मिट्टी तक की पहचान नहीं है। अचानक संपूर्ण लॉक डाउन  लगा शहरी मजदूर बेघर हो गए हजारो मील पैदल यात्राएं की, बहुत लोग भूख प्यास से मर गए हालत 1947 जैसे बदतर हो गए.  

किसानों की आमदनी दोगुनी करने वाले मोदी जी ने, उनके अनाजों को फ्री में बाँट कर वाहवाही लूटने का भरपूर फायदा उठाया। किसानो ने जो गेहूं 2019 में 1950 की दर से बेचा था उसे 2020 में 1300 में लिया गया, अरे ! इतनी तेजी से तो शेयर बाजार भी नहीं गिरता.बदले में मोदी जी ने किसानो को 2000 तिमाही भत्ता देकर एकबार और जनता की सहानभूति लेना नहीं भूले, इस दौरान कई छात्रों ने  फीस के चलते पढाई छोड़ दी। 

कोरोना के दौरान  जब भारत के मुखिया ने राहत कोष की  घोषणा की तो उसमे भी इनकी चालाकी दिखी पूरे 20,000 करोड़ MSME के लिए वो भी ये तो एक लोन की तरह था। जिसे बाद में वापस करना था, मतलब साफ़ था आम आदमी इससे वंचित रहने वाला था जिनकी आबादी 90 फीसदी तक है। मोदी सेना(मीडिया) इसे सफ़ेद करने में लगी थी उन्होंने बीस हजार करोड़ में इतना जोर दिया की लोगों को MSME शब्द समझ ही नहीं आया, और तो और मीडिया ने इस राहत पैकेज की तुलना अमेरिकी राहत कोष से करके सबसे बड़ा राहत पैकेज करार दिया । लोगों को लगा ये हम सब के लिए है, और इसी झूठी ब्रांडिंग ने मोदी जी की छवि को और उकेरा, जबकि ये पैकेज राहत के लिए था ही नहीं क्युकि जो लोग सबसे ज्यादा प्रभावित थे उन्हें ये मिला नहीं। 


सरकार आपको, आपके देश को धोखा दे सकती है, ये पैसा आपका है,जो आप टैक्स के रूप में देते हैं , सरकारी लापरवाही से ही नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे लोग हज़ारो करोड़ लेकर विदेश निकल गए मुझे तो ये लगता है बाद में पार्टी और विजय ने आधे आधे बाँट लिए होंगे. PART 2 Coming Soon

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