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Vijay Sekhar Sharma

      



"मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, 
पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है!"

ये पंक्तियां यूं ही नहीं लिखी गईं, बल्कि इनके पीछे बड़ा गहरा अर्थ छिपा है और इन पंक्तियों का अर्थ समझाते हैं पेटीएम के प्रमुख विजय शेखर शर्मा के हौसले।

आइडिया और वक्त की पहचान किस तरह किसी व्यक्ति को फर्श से अर्श पर पहुंचा सकती है, पेटीएम के प्रमुख विजय शेखर शर्मा आज इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। आईये जानें उस विजय शेखर शर्मा के बारे में जिन्होंने अपनी कामयाबी की इबारत जोश और जूनून से लिख दी है।
 
अपने गृह जनपद अलीगढ़ (उ.प्र.) के एक छोटे से कस्बे विजयगढ़ में शुरुआती पढ़ाई-लिखाई के बाद जब विजय शेखर ने जिले से बाहर दिल्ली में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया, तो इंग्लिश कमजोर होने के कारण तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। डर के मारे वह क्लास बंक कर जाते। पहले ही साल वो एक विषय में फ़ैल हो गए .हालांकि इस दौरान वो भटके नहीं और खुद को खोजते रहे, और इसी खोज ने उन्हें कंप्यूटर सेंटर की राह दिखी दी। विजय शेखर हॉस्टल से कॉलेज आते और वो एक-दो क्लास के बाद कंप्यूटर सेंटर चले जाते थे। हालांकि इस दौरान उन्होंने अंग्रेजी मैगजीन और अखबार पढ़ कर अपनी अंग्रेजी को भी तराशा।
विजय शेखर शर्मा ने बताया कि उनके जीवन में सबसे बड़ा बदलाव तब आया जब हॉस्टल के दिनों में वो अपने दोस्तों के साथ दिल्ली के कश्मीरी गेट के पास दरियागंज है जहां संडे मार्केट लगा करती थी जहां कई सेकेंड हैंड अंग्रेजी मैगजीन और किताबे बिकती थीं। उन्होंने बताया कि ऐसे ही मार्केट में घूमते हुए उन्होंनो कुछ फॉर्च्यून मैगजीन मिलीं जो कि सिलिकॉन वैली कल्चर के उपर थी। विजय शेखर ने आगे बताया कि उन्होंने उस मैगजीन से सिलिकॉन वैली के बारे में पढ़ा और सीखा।उन्होंने फॉर्च्यून मैगजीन के जरिए सिलिकॉन वैली को जाना और कंप्यूटर सेंटर में प्रोग्रामिंग वगैरह सीखी तभी उनके दिमाग में एक विचार आया कि, जैसे अमेरिका में सिलिकॉन वैली है वैसे ही भारत में एक सिलिकॉन वैली बनाई जा सकती है.इसके बाद उन्होंने और उनके दोस्त हरिंदर ने मिलकर एक सर्च इंजन बनाया जिसका नाम XS रखा। ये एक्सेस (ACCESS) शब्द का एक स्लैंग रुप था।और ये वेबसाइट उन्होंने 1 मिलियन डॉलर (10 लाख डॉलर्स  यानि ₹10,00000*70 )aur   कंपनी में नौकरी करने लग गये इससे उन्‍हें अच्‍छा खासा मुनाफा हुआ, करीब एक साल बाद कुछ अलग करने के लिये उन्‍होंने इस कंपनी की नौकरी को छोड.

नौकरी छोडने के बाद उन्‍होनें अपनी एक नई कंपनी शुरू की जिसका नाम था One97, लेकिन यह ठीक से नहीं चल पायी, सालभर में उन्‍हें काफी घाटा झेेलना अमेरिका की 9/11 त्रासदी का असर मार्केट पर इस कदर पड़ा कि रातोंरात कितने ही बिज़नस तबाह हुए और One97 Communications Ltd. भी इसका शिकार हुआ. Paytm की ग्राहक Hutch और Airtel जैसी बड़ी कम्पनियां समय पर भुगतान नहीं कर पा रही थीं. अपने स्टाफ, कर्मचारियों को सैलरी विजय ने दोस्तों, रिश्तेदारों से 24% की सालाना ब्याज दर पर पैसा लोन लेकर दिया.
विजय शेखर शर्मा जीवन में एक दौर ऐसा भी आया था, जब उनके पास खाने के पैसे तक नहीं थे। पेटभर खाने के लिए वह बहाने बनाकर दोस्तों के पास पहुंच जाते थे और खाना खाते थे। इन सब दिक्कतों के बावजूद उन्‍होंने हिम्मत नहीं हारी और उनके हिम्मत न हारने का परिणाम आज हम सभी देख सकते हैं।
 इसके बाद शुरू हुआ विजय का कभी हिम्मत न हारने के बाद 'विजयी' सिलसिला। उन दिनो विजय शेखर की नजर स्मॉर्ट फोन मार्केट और ग्राहकों की डिमांड को गंभीरता से रीड कर रही थी। वह देख रहे थे कि स्मॉर्ट फोन तेजी से बिकने लगे हैं। अचानक उनके दिमाग में नया आइडिया कौंध उठा। उन्होंने सोचा कि क्यों न मोबाइल पर कैश ट्रांजेक्शन सिस्टम के लिए वह कुछ करें। उन्होंने अपनी उसी पुरानी कंपनी 'वन97 कम्युनिकेशन एलटीडी' के नाम से ही अपनी पेटीएम (Paytm.com) नाम की वेबसाइट पर काम शुरू कर दिया। इसी पर ऑनलाइन मोबाइल रिचार्ज करने लगे। यद्यपि बाजार में अन्य बेवसाइट्स भी यह सुविधा दे रही थीं, लेकिन पेटीएम की तकनीक उपभोक्ताओं को रास आने लगी क्योंकि वह तकनीकी रूप से अन्य की तुलना में आसान थी। 

जब काम चल निकला तो विजय शेखर ने पेटीएम डॉट कॉम से ऑनलाइन वॉलेट, मोबाइल रिचार्ज, बिल पेमेंट, मनी ट्रान्सफर, शॉपिंग फीचर आदि की सुविधाएं भी कनेक्ट कर दीं। और देखते ही देखते एक दिन देश का सबसे बड़ा मोबाइल पेमेंट और ई-कॉमर्स प्लेटफार्म बन गया।

8 नवम्बर 2017 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीने नोटबंदी की घोषणा की, अपने 500 और 1000 के नोटों से मुक्ति पाने के लिए पेटीएम का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने लगा। दस दिन में ही साढ़े चार करोड़ उपभोक्ताओं ने पेटीएम का इस्तेमाल किया। उनमें कुल पचास लाख नए ग्राहक पेटीएम से जुड़ गए। आने वाले महीनो में तो यह संख्या करोड़ों में पहुंच गई और पेटीएम पर धनवर्षा होने लगी। पेटीएम पर रोजाना 70 लाख तक के लेन-देन होने लगे। इसका रोजाना का लगभग 150cr ka bussines होने लगा.

वह फोर्ब्स की लिस्ट में शामिल होने वाले सबसे कम उम्र के अरबपति हैं, जिनकी नेट वर्थ 8840 करोड़ रुपए (1.36 अरब डॉलर) रुपए है। उनकी पेटीएम पेमेंट्स बैंक में 51 फीसदी हिस्सेदारी है। पेटीएम में रतन टाटा सहित ग्लोबल निवेशकों ने करोड़ो का निवेश किया हैं।

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